[Deep sea mission] isro develops submersible capsule

Isro has developed a Submersible capsule, through which  ISRO will now go exploring in the depths of the sea, and this misson is named deep sea mission, will give you full information about how this misson will work and what deep sea mission is prepared by ISRO It has been done, how this submersible capsule will work in the depths of the sea, how many people will go to deep sea mission, how many people have space in the submersible capsule

[Deep sea mission] isro develops submersible capsule
deep sea mission ISRO has developed a Submersible capsule

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What is deep sea mission


Deep sea mission: ISRO (इंडियन स्पेश रिसर्च ऑर्गनाइजेशन) ने भारत देश का सर ऊँचा तब किया था जब स्पेस में चन्द्रयान 2 को भेजा था और अब समुद्र में गोते लगाने को इंडिया के बैज्ञानिक पूरी तरह से तैयार हैं, समुद्र के गहराईयों में submersible capsule के जरिये जाकर समुद्र में दबे हुए राज को उजागर करके फिर से इण्डियन बैज्ञानिक या isro के बैज्ञानिक पूरे विस्व में नाम ऊंचा करेएँगे, जी हाँ दोस्तों ISRO ने समुद्र में खोज करने के लिए एक मिसन तैयार किया है, मिसन का नाम है deep sea mission, इस मिसन को सफलता पूर्वक अंजाम देने के लिए ISRO ने एक खास तरीके का submersible capsule तैयार किया है, इसी submersible capsule के जरिये इंडियन स्पेश रिसर्च ऑर्गनाइजेशन समुद्र की गहराईओं में जाकर खोज करेगा कुछ नया अविष्कार करेगा,भारत गहरे समुद्र में जलवायु परिवर्तन का अध्यन करेगा इसका उपयोग मानवयुक्त सबमर्सिबल बनाने में किया जाएगा। 2022 तक, भारत छह देशों की एक कुलीन लीग में शामिल हो सकता है


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how many scientists will go into submersible capsules


 submersible capsules को बहुत ही शानदार तरीके से डिजाइन किया गया है, बेहद ही मजबूत और सेन्सटिव  submersible capsules को बनाया गया, समुद्र की गहराइ में प्रेसर अधिक होता है इन बातों को ध्यान रख कर बनाया गया है यह कैप्सूल, इस submersible capsules में केवल तीन लोगों के बैठने की सीट है जिसमे एक वैज्ञानिक दो ऑपरेटर होंगे  चेन्नई स्थित NIOT, जो सबमर्सिबल की बुनियादी संरचना को डिजाइन और विकसित कर रहा है, इलेक्ट्रॉनिक्स, सुरक्षा और नेविगेशन सिस्टम भी विकसित करेगा, समुद्री जीवों का अध्ययन करने के साथ साथ खनिजो और धातुओं का अध्ययन करने के लिए समुद्र में लगभग 6 किलोमीटर जाएगा submersible capsules, यह 8 सेमी मोटी टाइटेनियम शीट होगी, जिसे लगभग 2 मीटर व्यास के क्षेत्र में झुकना होगा और फिर वेल्डेड किया जाएगा, गोवा स्थित नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च, सेंटर फॉर मरीन लिविंग रिसोर्सेज और कोच्चि में इकोलॉजी और इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशन सर्विसेज हैदराबाद सहित कई एजेंसियां ​​पहल में शामिल हैं।


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